कुछ कर दो नजरे इनायत
इतना हम पर करम कर दो
करके शरबती नजरो की बारिश
इस नापाक तन को पाक कर दो !!
तेरे इश्क का रोगी ये दिल और जान
अब तुम इसका कुछ इलाज़ कर दो
प्यासा है ये अरसे से तेरे दीदार का
एक झलक देके इसे आबाद कर दो !!
हर तरह फैली है आग नफरत की
दिलो में कुछ प्यार के जाम भर दो
सुना बड़ी अजीब होती है तेरी माया
दिखा दे जलवा कुछ चमत्कार कर दो !!
गुन्हेगार हूँ तेरे इस बेदर्द जमाने का
देकर मुझे सजा तुम फिर माफ़ कर दो
दिल भर गया अब मेरा इस जमाने से
देकर मुझे मुक्ति प्रभु मेरा उद्धार कर दो !!
भटक रहा है हर कोई जमाने में
देकर मन को शांति नेक काम कर दो
मांगता है भीख रहम की “धर्म” आज
रहे नेक नियत,ये अरदास पूरी कर दो !!
कुछ कर दो नजरे इनायत
इतना हम पर करम कर दो
करके शरबती नजरो की बारिश
इस नापाक तन को पाक कर दो !!
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डी. के. निवातियाँ _________!!!
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