शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

यादें

बीते लम्हों के झुरमुट से
झांकती यादें
मासूम निगाहों से
तकती हैं
आज को
मगर आज
अपनी रफ़्तार से
बढ़ जाता है
आगे …
छोड़ जाता है
फिर से
कुछ यादें
जो बन जाती हैं
हिस्सा
बीते लम्हों के
झुरमुट में
ठहरी हुई यादों का

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