बीते लम्हों के झुरमुट से झांकती यादें मासूम निगाहों से तकती हैं आज को मगर आज अपनी रफ़्तार से बढ़ जाता है आगे … छोड़ जाता है फिर से कुछ यादें जो बन जाती हैं हिस्सा बीते लम्हों के झुरमुट में ठहरी हुई यादों का
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें