मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

!! मैं अकेला !!

जिंदगी के रास्तों पे फिरता हु,
लेके अपने करमों का मैं बोझ भारी,
लिए हाथों की कुछ लकीरें और,
मेरी किस्मत में लिखा वह चिर धारी,
बढ़ चली थी दुनिया सारी एक ही झुण्ड में,
पीछे रह गया तो बस,
मैं अकेला !!

न मिले मेरे कदम किसी से,
था खामोश चल रहा मैं, एक छोर से,
न मिला पाया मैं सुर में सुर,
न जुड़ पाया कोई मेरे उस एक छोर से,
निकल गए थे सभी, कही दूर मुझसे,
भटक गया रास्ता था शायद,
मैं अकेला !!

ढूंढ रहा था, मंजिल अपनी ,
गुजरते हुए, उन पुरानी गलियों से,
पड़ रहे थे, डगमगाते कदम मेरे,
कहीं और, अंधियारी गलियों में
था कठिन यह राह मेरा, पाना मेरे उस मंजिल को,
छोड़ दिया फिर आस दिल का, रह गया बस,
मैं अकेला !!

अमोद ओझा (रागी)

9244712-md

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here !! मैं अकेला !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें