गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

रात चांदनी, मै और तुम !!

    1. नभमंडल में विस्तृत सितारे
      मध्य चन्द्र की छटा अनुपम
      नीलवर्ण से सुसज्ज्ति उत्तमांश
      करते निश्छल क्रंदन का निष्पादन
      महज, रात चांदनी, मै और तुम !!

      सुदूर फैला सागर का आँचल
      करलव करती लहरो की हलचल
      झूमे जैसे इठलाता हो नव यौवन
      देख प्रकृति का ये मनोरम दृश्य
      हर्षित, रात चांदनी, मै और तुम !!

      स्याह रात में खिलते पुष्प कमल
      सौंदर्य उन्नत करे जुगनू की चमक
      स्याह रात की वो शर्मीली झलक
      अद्भुत संयोजन, ये अद्वितीय विधा
      बने साक्षी रात चांदनी, मै और तुम !!

      रात चांदनी, मै और तुम !!
      रात चांदनी, मै और तुम !!
      रात चांदनी, मै और तुम !!
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      डी. के निवातियाँ _________@@@

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