दिन ढलते देखा
इच्छाओें बढ़ते देखा
खाली हातोंका पीड़ा देखा
देखा तो नई क्यालेण्डर देखा
उड़ते रंगोंमें
कश्मकश जिंदगीमे
बिखरती रिश्तोंमें
फिर वही एलान
देखा तो नई तारीख देखा
अधूरी आशाएं
धूमिल सपनाएं
बहती रक्त-पसीनाएं
किसीने लूटते देखा
नई तकनीकिसे
दुहराती वही तारीख देखा
नई साल का तामझाम देखा |
०४/१०/२०१५
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