शनिवार, 4 अप्रैल 2015

"किताब"

    1. “किताब”

      सवालो में है जो सबकी नानी,
      जबाबो की बनी वो महारानी
      कोई राजा हो या कोई हो रंक
      अपने में सेमटे सबकी कहानी

      करती है वो बाते अनमोल
      चाहे इतिहास हो, या भूगोल
      भले पृथ्वी हो या फिर आकाश
      अँधेरे में दिखाती सबको प्रकाश

      अच्छे बुरे की पहचान कराती
      सही गलत का ज्ञान कराती
      चाँद पन्नो में खुद को समेटे
      दुनिया भर का ज्ञान लपेटे

      पद, प्रतिष्ठा, सम्मान दिलाती
      सबके सपने को साकार कराती
      अज्ञानी को जो विद्वान बनाती
      निश दिन नए आयाम दिलाती

      कही पे पर्वत, कही पे पानी
      कही पे जंगल, कही पे खाली
      धरती क्या है, अम्बर क्या है
      दुनिया में जीवन संसार क्या है

      सूरज लाल दीखता क्यों
      चंदा दूध सा सफ़ेद क्यों
      टिमटिमाते सितारे क्यों
      फूल सुगंध बिखराते क्यों

      पंछी गगन में उड़ता कैसे
      मछली जल में रहती कैसे
      बादल पानी बरसाता कैसे
      बिजली नभ में कड़कती कैसे

      दिन -रात का चक्कर क्या है
      सर्दी गर्मी का मौसम क्या है
      ज्ञान विज्ञान का खेल क्या है
      एक दूजे से सबका मेल क्या है

      आओ बच्चो तुम्हे बताये इन सबका राज
      जो समझ गया ये बाते, वो पहनेगा ताज
      जहाँ मिलेगा तुमको हर सवाल का जबाब
      उस अनमोल खजाने को कहते है “किताब”
      !
      !
      !
      डी. के. निवातियाँ ________@@@

      Share Button
      Read Complete Poem/Kavya Here "किताब"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें