जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
दूर होकर भी पास आने की आस में !
अब तुम बन गए हो जीने का सहारा !!
अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
गर न मिला हमे जिंदगी में कोई ठिकाना !
हम ढूंढ लेंगे उनके पहलू में आशियाना !!
अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
हमारा वादा है, करेंगे उनसे वफ़ा इस कदर !
वो दूर जाने का, ना कर सकंगे कोई बहाना !!
अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
जिंदगी के सफर में एक वक़्त ऐसा आएगा !
लहरो से लड़ती कश्ती भी छू लेगी किनारा !!
अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
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डी. के. निवातियाँ
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