शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

ऐसा बना गया अपना याराना

    1. अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!

      दूर होकर भी पास आने की आस में !
      अब तुम बन गए हो जीने का सहारा !!
      अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!

      गर न मिला हमे जिंदगी में कोई ठिकाना !
      हम ढूंढ लेंगे उनके पहलू में आशियाना !!
      अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!

      हमारा वादा है, करेंगे उनसे वफ़ा इस कदर !
      वो दूर जाने का, ना कर सकंगे कोई बहाना !!
      अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!

      जिंदगी के सफर में एक वक़्त ऐसा आएगा !
      लहरो से लड़ती कश्ती भी छू लेगी किनारा !!
      अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!

      अब कुछ ऐसा बना गया है अपना याराना !
      जैसे हम सागर की कश्ती तुम हो किनारा !!
      !
      !
      !
      डी. के. निवातियाँ

      Share Button
      Read Complete Poem/Kavya Here ऐसा बना गया अपना याराना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें