गुरुदरश करूँ हरदम मुझे आस ये रहती है
नहीं दरश करूँ जब तक बेचैनी सी लगती है
हर पल गुरु के दीदार का इंतज़ार रहता है
हर पल तुम्हे पाने का अरमान रहता है
जल बिन जैसे मछली कभी जी नहीं सकती है
गुरुवार हमको पानी ऐसी ही भक्ति है
हर पल तुम्हे पाने का अरमान रहता है
हर पल गुरु के दीदार का इंतज़ार रहता है …..
ये तन है माटी का माटी में मिल जाये
धन्य भागी वही होता, हरि नाम जो जप पाये
हर पल स्वयं के कर्म का फल साथ रहता है
हर पल गुरु के दीदार का इंतज़ार रहता है …..
गुरु कि अनुकम्पा से हमें दिखा मिलती है
जीवन को जिए कैसे ये शिक्षा मिलती है
हर प्रभु के नाम का सुमिरन भी रहता है
हर पल गुरु के दीदार का इंतज़ार रहता है …..
जब पाया न तुमको भटके थे भूले थे
शाश्वत की खबर न थी, नश्वर में फूले थे
अब तो हर एक सांस में सुमिरन तेरा होता है
हर पल गुरु के दीदार का इंतज़ार रहता है ….. ||
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