दोस्तो आओ सुनाउ तुम्हे
नेताओ की दास्ता.
इमान के शिखर मे है
रिस्वत ही उनका रस्ता
बचपन से ही ये
राज्नीती की गोद मे पले
खुद मे एकता नदेश
देश को एक सूत मे बान्धने चले
मिली है लाल बत्ती
वे दौरे मे मस्त है
अफसर भी उनकी
आवभत मे व्यस्त है
क्या खबर है
आम जन की ऊन्हे
कि जनता उनके
कारनामो से त्रस्त है
डलबदलू आपस मे पन्गे
मजहब जाति धर्म के दन्गे
नेता नपादी तीन किस्म के
ज्हूथे फरेवी अओर लफन्गे
दाव ताव पे जैसे उलज्हे शरावी
क्या खूब सज रहा आज मौशम चुनावी
इन नकाबी चहरो के ज्हूथे अफसाने
बहला रहे हमे दिखा के सपने गुलवी
कोइ भीख मागते वोतो कि पूरे हाथ पसार
कोइ लत्थ ले बूतो पर करते है तकरार
कोइ गाव मुहल्ले घर-घर जा कर
पेती भर-भर दारू की बान्त रहे उपहार कह !कहेन्गे रखते हम
जन हित मे आस्था !
ईमान के शिखर पे है
रिस्वत ही उनका रास्ता !!
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