मजहब कभी हिन्दू या मुसलमान नही होता, मजहब किसी इन्सान की पह्चान नही होता, बाँट दिया हम इंसानों ने भगवान को भी…, पर इन्सानियत से बड़ा कोई भगवान नहीं होता ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें