पर्वत सा शिखर अटल
बहता हुआ मृदु जल
दया प्रेम का दरिया
हैं मेरे पापा सबल
न्यायकारी बड़े निश्छल
स्नेह स्वरूप खिलता कमल
अत्फ़ाल को कहते अत्फ़
मेहनत पर पूरा बल
सीमा पर भी जौहर दिखाया
खेतों में भी चलाया हल
गोद में अपनी बिठाकर
समझाते थे मुझे प्रबल
भक्ति और शक्ति पर मन
मदद करने में प्रसन्न
ईमानदारी है गहना उनकी
नाबूद उनके लिए धन
कठिनाईयों को करते हल
सब उनकी मेहनत का फल
रूद्र भी हैं और रक्षक भी
हैं मेरे पापा सबल
शब्द 1अत्फ़ाल = बच्चे २ अत्फ़ =कृपा
३ बाबूद = बेकार
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