रह सागर में क्यों तलाश जल करे, जो खुद गुलाब तमन्ना फूल क्या करे हम ठहरे तबियत से मौला-ऐ-फ़कीर लुटे कोई खजाने कुबेर हम परवाह क्यों करे…..!!
( डी. के. निवातियाँ )
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