- मत कहना कभी बेटा मुहको माँ,
क्यों मेरी पहचान मिटाती हो !
मेरा भी अपना असितत्व है,
दुनिया में उसे क्यों छिपाती हो !!मत कहना……………………….!!
जन्म हुआ होगा मेरा भी किंचित,
यथासम्भव तुमने की पुत्र प्राप्ति हो !
कष्ट सहे होंगे मेरे लिए भी उतने ही ,
फिर क्यों उनका मान घटाती हो !!मत कहना……………………….!!
अगर तुम ही छीनोगी मुझसे मेरा हक़,
फिर जगत में कैसे मुझे प्राप्त ख्याति हो !
इस पुरुष प्रधान समाज में बेटी को
कैसे उसके सम्मान कि हिफ़ाज़त हो !!मत कहना……………………….!!
गदगद होती हूँ “माँ” तेरा प्यार पाकर,
जितना तुम मुझ पर दुलार लुटाती हो !
गर नहीं भेद बेटा बेटी का तेरे अंतर्मन में,
फिर क्यों तुम बेटा कहकर मुहे सताती हो !!मत कहना……………………….!!
कर भरोसा मुझ पर हे मरी जननी माँ,
पुकार लेना मुझको इर्द गिर्द पाओगी !
मत कर अफ़सोस एक दिन दिखलादूंगी,
बेटे सी बढ़कर दुनिया में रोशन तेरी बेटी हो !!मत कहना कभी बेटा मुहको माँ,
क्यों मेरी पहचान मिटाती हो !
मेरा भी अपना असितत्व है,
दुनिया में उसे क्यों छिपाती हो !!( डी. के. निवातियाँ )
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