शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

इन आँखो में नमी न थी/

इन आँखो में नमी न थी,
ना चहरे पे गम था छाया,
सीने में दर्द सही,
पर मुस्कान में कमी ना आया/

इस दर्द-भरी ज़िंदगी से आज़ाद कर दो मुझे,
खुशी के दो आँसू नसीब कर दो मुझे ,
मैं जीकर भला क्या करूँगा,
गम के दो आँसू और बहाऊंगा/

हस्ता-हँसाता रहा हू मैं ,
सीने में दर्द सहा हु मैं ,
चला जाऊँगा मैं ऐसे,
के गम न थे कभी जैसे/

By Sagar T.E.A.

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