शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

ये मोहब्बत कहा !

ये मोहब्बत कहा !

वादा करके मुकर जाने के बाद ,
प्यार करके फिर धोका देने के बाद,
लोग नयें रिश्ते ढूंढ़ते है,
बस चंद ही दिनों के बाद/

वादा वो सच था या नहीं ,
प्यार वो सच्चा था या नहीं,
सवाल कुछ ऐसे है ढेर सारा ,
मैं जागता रहता हु रात-भर सारा/

सच है की ज़माना अब वो नहीं रहा,
मोहब्बत की राह अब वीरान हो रहा,
तेज चलती इस दुनिया से मैं हार,
पर मोहब्बत से रिश्ता रहेगा हमारा/

हम जैसों की दुनिया में भीड़ है कम ,
मोहब्बत की राह में लोग है काम,
पल-भर यहाँ, तो पल-भर वहा,
मनोरंजन ये ऐसा, ये मोहब्बत कहा/

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ये मोहब्बत कहा !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें