शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

वो आँखे ,वो पलकें
वो काली सी जुल्फे ||
तुम्हारा वो चेहरा ,
तुम्हारी वो रंगत ||
खयालो में आकर ,
ये कहते हैं अक्सर ||
खुदा ने तुमको बनाने से पहले ,
सादगी को मन से सजाने की सोची ||

हसीन तो बहुत सी हैं ,
इस जहाँ में गुलाबों ||
पर तुम जैसी ताजगी ,
उनमें कहाँ हैं ||

राहे अँधेरी और दुनिया वीरान ,
दिल में छुपी बेवफ़ाई की पूँजी ||
खुशबू थी जैसे हवाओं में उस दिन ,
जब उनकी आवाज़ मेरे कानों में गूंजी ||

शिकवे तमाम उम्र के
पल भर में मिट गये ||
मैं मेरी दुनिया औ पहिया समय का
जो भी जहाँ थे वही थम गये ||

हर पल हर दिन ,हर क्षण हर घड़ी
स्नेह की मिठास लेकर, आठ प्रहर मेरे साथ खड़ी ||

आइना भी तुझसे है कहता गुलाबो
जो दिखता है सबको , है तू उस कद से बड़ी ||

आखरी लफ्ज में इतना कहूँगा की –

सूरत भी है और सीरत भी है ,
तेरी कर्मो से मेरे घर की कीरत भी है ||

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