शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

तुझे इतना प्यार दूँ !!

    ये तेरी खुली खुली जुल्फे,
    इन्हे अपने हाथो से सवाँर दूँ !
    बरस पडु बन काली घटा,
    तेरी हर बला की नजर उतार दूँ !!

    ये तेरे मुखड़े की रौनक,
    इस जमीन पे कोई नया चाँद उतार दूँ !
    खूबसूरती तेरी माशाअल्लाह,
    वो नजर ठहर जाए जिस से तुझे निहार दूँ !!

    बड़ी कातिल है तेरी नजर,
    कही समझ में कटार सीने पे न मार दूँ !
    रहने दे जलवे शौख अदा के,
    कही उसपर मै अपनी जिंदगी न वार दूँ !!

    ये तेरा लहरा के चलना,
    इनको किस की चाल का नाम दूँ !
    झड़ते है फूल तेरे लबो से,
    कहुँ इसे ग़ज़ल या सरगम का नाम दूँ !!

    न आये कोई पल ऐसा,
    जिनको जिंदगी में बेवफाई का नाम दूँ !
    निकले जो अश्क तेरी आँखों से,
    लेकर अपने अधरों पे उन्हें जाम का नाम दूँ !!

    एक गुजारिश तुझ से,
    गर दे इज़ाज़त तो तुझको जहन में संवार दूँ !
    गर बन जाए “धर्म” की धड़कन,
    तुझे नयनो के गलियारे से अपनी रूह में उतार दूँ !!

    जिंदगी में तमन्ना बाकी न हो,
    मिल जाए तू अगर, संग तेरे बिगड़ी तकदीर संवार दूँ !
    जिक्र हो महफ़िल ऐ – खुदा
    आ जाए मेरी नजर तो मै तुझे इतना प्यार दूँ !!
    !
    !
    !
    [[________डी. के. निवातियाँ _____]]

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