बुधवार, 14 अक्टूबर 2015

तुझ सा - शिशिर "मधुकर"

कहने को तो दुनिया देखी पर कोई तुझ सा सुन्दर ना मिला
तुझ में पाया था जो मैंने वो और किसी के अंदर ना मिला .

सोचा था मैंने काटूँगा मैं अपना जीवन तेरे संग
तुझको दूंगा खुशियाँ साड़ी ले लूंगा तेरे सारे ग़म
पर शायद भगवान ने मेरी किस्मत में ये मंज़र ना लिखा
तुझ में पाया था जो मैंने वो और किसी के अंदर ना मिला .

कहने को तो दुनिया देखी पर कोई तुझ सा सुन्दर ना मिला
तुझ में पाया था जो मैंने वो और किसी के अंदर ना मिला

तेरे जाने के बाद जीवन में है एक सूना एक खालीपन
कितना ही कोई मुझे समझाए समझ ना पाए पागल मन
अब भी तेरे मिलन को तड़पे पर कोई अवसर ना मिला
तुझ में पाया था जो मैंने वो और किसी के अंदर ना मिला .

कहने को तो दुनिया देखी पर कोई तुझ सा सुन्दर ना मिला
तुझ में पाया था जो मैंने वो और किसी के अंदर ना मिला
.

शिशिर “मधुकर”

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