बर्षों बाद मिलें हम संजोग है यह
धीमांसा याद हो गयी ताजा वह |
सुनसान रास्तें याद दिलाते तुम्हें
गुलजार लम्हें साथ रहे थे तुमसे |
वक्त कम पड़ती जब हम मिलती
सपनें में भी बहाने ढूढ़ती मिलनेकी |
बिछुड़नेकी दर्द होती कितनी गहरी
चाहत हमारी सदा ही साथ रहनेकी |
तुम्हारी आवाज गीत बनी गूंजती
तुम्हारी चाल नाच बनती भुलाती |
१२/०३/२०१५
Read Complete Poem/Kavya Here तुम्हारी यादें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें