क्या बात करूँ मैं आपसे ये जमाने के
सब आगे निकले सिर्फ आप रुक गये |
बातों बातों में उलझते हर एक आदमी
क्या काम है अपना सब कुछ भूलती |
अपने आप जलती अपनों से भी जलती
कुछ न करती जलती रहती देखती रहती |
वादा,जुजून कब कहाँ खो गयी पत्ता नहीं
अपने ही अंदर भटकती,गुस्से में रहती |
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