जो रग रग में
समाई है लहू बन कर ,
बरास्ता दिल से
गुजरती है हरदम ……
वो पल जो करीब आ कर
बिताये थे हमने ,
अनायास ही
उम्र बढ़ा गए मेरी ..
भुला देने का वादा
पूरा करें भी तो कैसे ?
धड़कने लिखा करती हैं ,
तेरा नाम
मैं जहाँ से गुजरता हूँ …………
अनिल कुमार सिंह
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