मौन मुझसे बना अपरिचित जब आँखे तुम्हारी होगी नम ।। खो जाएँगे हवाओं में फासलों को समेट कर जब वक्त हो जाएगा नम ।। अजनबी आवाजों की मृगतृष्णा मे जब मन हो जाएगा नम ।।
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