करोगे अहसास तो होगा, आज नही तो कल !!
सफर लम्बा तो क्या मंजिल दूर ही सही !
राहे मुश्किल अगर जरा सा संभल के चल !!
देख कर अनदेखा किया आज उसने इसलिए !!
शायद उठी हो उसके जहन सवालो की हलचल !!
लोग उठाते लुफ्त जमाने में भले दुःख देकर !
अपनी खुशियो से बढ़कर हमे दुसरो का गम !!
किस पर करोगे भरोसा “धर्म” इस जमाने में !
चारो और तो पसरी है छल फरेब की दल-दल !!
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डी. के निवातियाँ ______@@@
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