ये कुठारघात है मेहनत पर
अधिकारीयों की
गुमनाम मौते हो रही
बेदर्दी से ईमानदारियों की
पंखे पर लटकाते है कभी
ट्रेक्टर से कुचलवाते है
जाने कितने मेहनतकश
ईमान पर जान गवाते हैं
आका अंगूठाटेक यहां
पूरी सुरक्षा पाते है
जागृती की दुहाई देकर
संसद मे सो जाते हैं
रातों में जल जलकर
मुकाम कैसे बनते है
हाथ जोड़कर ये लोग
नमक हराम कैसे बनते है
कुछ टुकड़ो पर पलते हैं
कुछ सिर्फ हाथ मलते हैं
कोयले की खानों मे हीरे
बड़ी मुस्किल से मिलते है
खेमका और कभी रवि
कुछ घुट घुट कर जीते
पाते है तबादले जो
ईमानदार आई ए एस बनते है
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