वो मांझी भला क्या करे जिसकी कश्ती टूटी हो
मझधार से निकले कैसे जब किनारो से दुरी हो !
हार जाया करते है अक्सर जंग जिंदगी में लोग
कहानी जिनकी खुद रब ने ही लिखी अधूरी हो !!
रफ्ता रफ्ता,तिनका-तिनका उम्र गुजर जाती है
जिदगी जैसे कोई यादो का पिटारा बन जाती है !
कभी किसी की यादे ताउम्र का जख्म दे जाती है
कभी कभी यादो के सहारे जिंदगी कट जाती है !!
काश खुदा हम पर इतना मेहरबान होते
करते हम इल्तिज़ा दुआ कबूल फरमाते !
न होती जरुरत कुछ उनको समझाने की
अगर दिल की बाते आँखों से समझ पाते !!
न कर खुद पे जुल्म इतना की दशा बिगड़ जाए
की छुपाने से बात कही दूरिया और न बढ़ जाए !
कर किसी को सरीक -ऐ- हालात जिंदगी अपने
जब घेरे तन्हाईयाँ, कन्धे हाथ उसका मिल जाए !!
बड़ी नाजुक होती है रिश्तो की डोर
जरा सी ठेस लगे छन से टूट जाये !
जिंदगी बीत जाती जिन्हे अपना बनाने में
वो दिल के अजीज एकपल में गैर हो जाये !!
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