सोमवार, 11 मई 2015

मेरे हाथो मे तेरा हाथ था...

बिते कुछ लम्हे एसे मेरे हाथो मे तेरा हाथ था
आन्ख जो मेरी खुली तो तु ना मेरे साथ था
थामना चाहा फिर तेरा हाथ जो मै ने
फुटी किस्मत एसी मेरी तेरा बीता कल तेरे पास था

टुटा दिल मेरा हमदम शायद न तुझे इसका एहसास हो
मै तो तेरे लीये कुछ था ही नही तु बस मेरा खास हो
भुले तु मुझे अब तो भुल भी जाना
तेरे यादो मे मेरा दिन और तेरे यादो मे अब रात हो

करीब आकर पढना मुझको शायद मुझमे कुछ राज हो
समेट बिखरे लब्जो को तु शायद उसमे मेरा प्यार हो
कुछ देखना है तो देख मेरे आन्खो मे
क्या पता मेरे जीने की तु एक आखरी आस हो…

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