बड़ी शिद्दत से कर्मो का सिला देती है|
जिंदगी तू मुझे हर बार मिटा देती है|
नाकाम हुई हर जनम कोशिशे मेरी,
जिद ए जिंदगी हर बार दगा देती है|
सदियों से तेरा-मेरा है अटूट रिश्ता,
ए मेरी मौत तू हर बार पनाह देती है|
मेरे अपने ही होते आग लगाने वाले,
तेरा क्या, तू तो बस हवा देती है|
गले लगाना है तो लगा हर बुराई से पहले,
लम्बी हो तो दाग ज्यादा लगा देती देती है|
तू सच बोलने का है गुनहगार "संजू"
देंखे अब दुनिया क्या सजा देती है|
बड़ी शिद्दत से कर्मो का सिला देती है|
जिंदगी तू मुझे हर बार मिटा देती है|
सोमवार, 11 मई 2015
जिंदगी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें