रविवार, 10 मई 2015

।।माँ।।

।।माँ।।

कुछ आंशू ममता के होंते
कुछ खुशियो के ढ़र जाते है ।।
कुछ तखलीफो के सागर में
मिलकर मोती बन जाते है ।।

फिर भी लाती चुनकर खुशिया
हर इक ताने बाने से ।।
ममता की निधि देकरके वह
मर मिटती मुस्काने से ।।

चाहे माँ की वह लोरी हो
हो चाहे रुखा ब्यवहार ।।
माँ से अलग नही हो सकता
माँ, माँ की ममता का प्यार ।।

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