शनिवार, 2 मई 2015

SUNITA MISHRA

बचपन

वो कोमल खिलखिलाता बचपन ,
जिंदगी की हक़ीक़तों से अनभिज्ञ ,
रिश्तो के बंधन से परे,
अपने पराये से अपरचित ,
भविष्य के अनगिनत सपने सजोए,
अतीत के कोहरे में छिपा वो कोमल बचपन,
याद आता है अक्सर वो खिलखिलाता बचपन l

सुनीता मिश्रा

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