,मेरे भईया,मेरे चन्दा,मेरे अन्मोल रतन,
यह बन्धन ना कभी खत्म हो चाहे कोई कर ले जितने यतन।
बचपन के दिन भुलाते नही भुलते,
मस्ती करते, शरारते करते, खेलते खिलाते,
याद है ना होली पर गुब्बारे फुलाते,
गुजराती मोहोल्ले की बरसाती पर रक्शाबन्धन पर पतन्गे और कबूतर फसाते।
तेजा की पापरी भल्ला आती है याद,
आज भी मुह मे पानी आ जाता है बारम्बार।
हर पल हमने बिताया उमन्गो भरा,
दुआ करती हू खुदा से साथ ऐसा ही बना रहे अपना हरा भरा।
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