।।ग़ज़ल।।मुझे मालुम है।।
मेरे ख्वाबो में तेरा चेहरा नजर आयेगा मुझे मालुम है ।।
आज फिर से वही दर्द उभर आयेगा मुझे मालुम है ।।
मेरी तकलीफ का एहसास हो न हो तुम्हे ऐ मेरे दोस्त।।
मेरी मुहब्बत का एहसास तुम्हे होगा मुझे मालुम है ।।
मेरे बहते अश्क पर मुझको भरोसा हो गया अब ।।
उभरेंगे तेरे आँख में भी आंसू मुझे मालुम है ।।
अब मुफ़्त में तो यहा नशीहते भी नही मिलती है ।।
मैंने तो अपनी जिंदगी ही लुटा दी मुझे मालुम है ।।
इल्म कर तेरी आजमाइस पर कुर्बान कर दी जिंदगी ये।।
यकीनन मेरी ख़ामोशी का असर होगा मुझे मालुम है ।।
ऐ दोस्त तू मिले ,न मिले ,फिर भी कोई बात नही ।।
पर अब मैं तेरा ही होकर जिऊँगा मुझे मालुम है ।।
……..R.K.M
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