रक्षाबंधन
परिभाषा प्रेम की
भाई बहन
नहीं सितम
बहनो पर अब
तैयार हम
रेशमी डोर
या फिर कच्चा धागा
न कमजोर
करो सम्मान
सबकी बहनो का
ये बात मान
लो ये शपथ
मिटायेंगे बुराई
रोक कुपथ
पूज्य है नारी
और है शक्तिशाली
नहीं बेचारी
हितेश कुमार शर्मा
Read Complete Poem/Kavya Here रक्षाबंधन (हाइकू )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें