।।ग़ज़ल।।कोशिस बेकार निकली।।
तुम्हे चाहने की मेरी हर कोशिस बेकार निकली ।।
तेरी बेचैनी भी तेरे दिल की वफादार निकली ।।
थकती तो नही है ये नज़र तेरा चेहरा निहारकर ।।
पर तेरी ख़ामोशी पर मेरी हर नज़र बेजार निकली ।।
इंतजार तेरे इशारों का करता ही रह गया मैं ।।
न जाने किस वज़ह से तू गुमसुदा हर बार निकली ।।
माना कि बेअसर रह गयी हो मेरी चाहते ऐ दोस्त ।।
पर तेरी लापरवाही तो काफ़ी असरदार निकली ।।
काश! कि तुम सुरुआत ही न करने दिये होते मुझे ।।
सम्हल जाता पर तू बेवफा ही आखिरकार निकली ।।
…….R.K.M
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