क्या जिन्दगी यूंही गुजर जाएगी, सोचता हूं यही होगा पर ना हो खुदा के वास्ते, फिर वहां शम्मां भी क्या करेगी योगी, जब चुनतें ही हैं हम बेचिराग रास्ते,
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