तेरे नैनो की मयूखैन
तेरे नैनो की मयूखैन देख
मैनु कहत न बनियां
तेरे जैसा न इस तिहुँ भुवनियां
तेरी बात गूंजती है मेरी
कर्णकुहर में
तेरी याद घूमती मेरी
अंतर्गुहावसों में
तू हंसती हैं तो लगता
पतझर है
तू रोती है तो लगता
सावन है
तेरा यह श्याम तन
तेरी यह काली आँखें
जिसे देख मेरा मन करता है
खुद से बातें
कभी तू देखता कलकि
रूप से
कभी तु देखता निरभ
रूप से
तेरे नैनो की मयूखैन देख
मैनु कहत न बनियां
तेरे जैसा न इस तिहुँ भुवनियां
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