सिर पर तेरे मुकुट विराजे
अधरों पर खिलता यौवन
सिंह की तुम हो आरूढ़ि
नभ से तेरे उज्जवल नयन
गंगा यमुना चरण पखारे
हिमालय छू रहा है गगन
ऋतुऐं सज़धज कर आएं
मन मोहे तेरा मधुबन
तिरंगे की तुम हो धात्री
दूध सा उजला है दामन
नीर क्षीर इतिहास दिखाता
धन्य है तेरा जन जन
दशों दिशाएँ महिमामंडित
जग करता तुझको नमन
जीवनदायी भारत माता को
अर्पित श्रद्धा के सुमन
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