शनिवार, 2 मई 2015

मोहब्बत

इस एह्सास को,
दबाकर नही रखते,
झलकने दो इसे,
अपने चेहरे पे।

जितनी मोहब्बत करोगे,
इस दुनिया से,
उतने ही सन्तुष्ट रहोगे,
किसी भी बात पर दुखी नही रहोगे।

दर्द और जख्म,
एक साथ आयेन्गे,
मुस्कुराकर उनका स्वागत करना,
मगर एक भी आसू मत बहाना।

जिन्दगी मे ऊन्च-नीच होती रेह्ती है,
किस्मत कोइ-न-कोइ चाल खेलती रेह्ती है,
वो हमे बनाना चाह्ती है कमजोर,
मगर हम रहेन्गे कठोर।

एक दूसरे का हाथ पकडकर,
इस आग पर चलेन्गे,
हिम्मत को टूटने न देन्गे,
किसी भी अड्चन का डट कर मुकाबला करेन्गे।

मोहब्बत के आगे,
सारे एहसास फीके पड जाते है,
जहा येह मौजूद हो,
वहा खुशीयो का स्वागत हो।

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here मोहब्बत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें