- बड़े शौक से घर में गणपति को लाते है लोग
एक दिन उसी को फिर पानी में बहाते है लोग !!बड़ी अजीब देखी श्रद्धा लोगो की इस जमाने में
कभी सर झुकाते, कभी पैरो में ठुकराते है लोग !!पहले तो करते है पूजा चढ़ाकर सुगनध पुष्पमाल
फिर कर विसर्जन उनका खुशिया मनाते है लोग !!पांडालों के इर्द गिर्द घुमते रहते बच्चे भूखे नंगे
कूड़े में कन्द-मूल और पानी में दूध बहाते है लोग !!श्रद्धा की बात क्या कीजे “धर्म” इस कलयुगी दुनिया में
इंसानो पर जुर्म और मूर्तियों में आभूषण चढ़ाते है लोग !!!
Read Complete Poem/Kavya Here श्रद्धा.......
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डी. के. निवातियाँ _______!!!
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