।।ग़ज़ल।।दिल जलाना तो पड़ेगा ही।।
रहा बरसो से ख़ाली दिल जलाना तो पड़ेगा ही ।।
अग़र शौक़ ऐ मुहब्बत तो बताना तो पड़ेगा ही ।।
तुम्हे है प्यार करना तो जरा फिर सोच लेना तुम ।।
यहा पर गम भरे तन्हे बिताना तो पड़ेगा ही ।।
अभी है वक्त रहने दो बड़ी ज़ालिम ये दुनिया है ।।
बनेंगे क़हक़हे हरपल भुलाना तो पड़ेगा ही ।
हमारी दोस्ती के पल यक़ीनन तुम भुला दोगे ।।
मग़र रश्मे मुहब्बत को निभाना तो पड़ेगा ही ।।
यहा के रहनुमा कातिल सितमगर बन ही जाते है ।।
अग़र है घाव गहरा तो दिखाना तो पड़ेगा ही ।।
ईलाजे दर्द की ख़्वाहिश यहा पूरी न होती है ।।
न होंगे आँख में आँशू बहाना तो पड़ेगा ही ।।
लुटते देख ख़ुद को भी शिकायत कर न पाओगे ।।
दिलो में दर्द होगा पर मुस्कराना तो पड़ेगा ही ।।
R.K.M
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