जब तक नदी हूँ बहने को किनारे चाहिए
जीने के लिए मोहब्बत के सहारे चाहिए
सागर बनूँगी तब तलक तुम रहना मेरे साथ
हो कुछ भी तुम न छोड़ना हाथों से मेरा हाथ
छोड़ के सागर जो फिर बदली बनूँगी मैं
बरसा के अपना प्यार सदा सींचूंगी मैं तुम्हे.
शिशिर “मधुकर
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