शक्ति-स्वरूपा बेटी हो
…आनन्द विश्वास
परी-लोक में मत भरमाओ,
आज देश के बचपन को।
परी-लोक सा देश बनाकर,
दे दो नन्हें बचपन को।
क्यों कहते हो स्वर्ग-लोक में,
निर्मल गंगा बहती है।
गंगा को निर्मल कर कह दो,
ऐसी गंगा होती है।
बेटा-बेटा कह बेटी को,
मत भरमाओ बेटी को,
उसको उसका हक दे,कह दो
तुम शक्ति-स्वरूपा बेटी हो।
ये करना है, वो कर देंगे,
मत भरमाओ जन-जन को।
जो करना है कर दिखलाओ,
आज देश के जन-गण को।
…आनन्द विश्वास
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