आज देश पर आन पड़ी फिर विपदा भारी
पांडवों को आवश्यकता है हे कृष्ण तुम्हारी
कौरवों ने संख्या बल पर फिर उत्पात मचाया
भरी सभा में हे कृष्ण तुम्हारा उपहास उड़ाया
धर्म पथ पर चलने वालों की हार हुई है
भारत माता की इज्जत भी फिर तार हुई है
इस माता की इज्जत है अब हाथ तुम्हारे
धर्मपरायण जनता कहती है तुमसे हाथ पसारे
एक बार पुनः पापियों को युद्ध हेतु ललकारो
सब भीष्म, द्रोण, दुर्योधनों, दुशासनों को मारो
युद्ध हेतु एक अर्जुन का निर्माण करो तुम
शस्त्र बिना बन सारथी उसका कल्याण करो तुम.
शिशिर “मधुकर”
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