घायल कर गया दिल पूनम चाँद का शबाब
कल रात अधूरा रह गया नींद का ख्वाब !!
चांदनी रात में था उससे मिलन का वादा
पलटकर ना आया फिर दिलबर का जबाब !!
रात कब गुजर गयी महबूब के इन्तजार में
हमने खोल के रखा था दिल का मेहराब !!
मिलन की बेकरारी में तड़पा तो वो भी होगा
उमड़ा तो होगा उसकी भी नयनो में सैलाब !!
मजबूरियों के आलम में “धर्म” वो उलझा होगा
कही गिरा होगा वो पीकर मोहब्बत की शराब !!
[[ _________डी. के. निवातियाँ ______]]
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