वक़्त की नज़ाकत में, ज़माना बदल गया ।
या मैं बदल गया हूँ , या वो बदल गया ।।
वो हो गया खुदगर्ज़ मेरी ज़रूरत नहीं रही
शायद अब उसका खुदा ही बदल गया ।।
कल तलक था हमज़ुबां हमराह मेरा हमसफ़र
आज उस गमगुस्सार का इरादा बदल गया ।।
वो तासीर अब कहाँ उसके तबस्सुम में
लगता है जैसे उसका चेहरा बदल गया ।।
लिखता गया सब कुछ पदम अपनी किताब में
जो नाम आया उसका तो कागज बदल गया ।।
-padam shree
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