तुमसे प्यार है मुझको कितना
शब्दों में मैं कह नहीं सकता
तुम ये मानो या ना मानो
तेरे बिन में रह नहीं सकता
इंसानो की भीड़ में जब भी
दिल में कोई तड़प उठी है
पंच तत्व के कुण्ड में मानो
यादों की ज्वाला सुलग उठी है.
शिशिर “मधुकर”
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