हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
हर पल सोचता हूँ वो प्यार भरी बातें
कैसे मैं भुला दूँ वो हसीन मुलाकातें
जब उसने मेरे हर लफ़्ज पे एतबार किया था
मैं सब कुछ हूँ उसका ये इकरार किया था
वो झूठ था या सच था ये मलाल आता है.
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
वो दिन भी क्या दिन थे जब उजला सवेरा था
मेरे दिल के आईने में बस उसका ही चेहरा था
उसने प्यार की नरमी का एहसास कराया था
मेरे बिन ना वो रह पायेगी ये विश्वास दिलाया था
आँखों के सामने वो सब हाल आता है .
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
उसने क्यों तोड़ डाला इस दिल के आईने को
क्यों दिल्लगी समझा मेरे इस चाहने को
ये दिल्लगी नहीं थी दिल की लगी थी यार्रों
मैंने तो प्यार में थे भुलाए जहाँ चारों
उसकी बेवफाई ना दिल निकाल पाता है
हर सुबह जागते ही ये ख़याल आता है
क्या वो मुझको चाहती थी ये सवाल आता है .
शिशिर “मधुकर”
Read Complete Poem/Kavya Here मोहब्बत के सवाल - शिशिर "मधुकर"
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