”एक भूल से मुकद्दर पे एतबार आने लगा
भूल ही थी की उनपे प्यार आने लगा
भूल यू हुई की खत से खफा हो गयी
और खतों का खामियाज़ा आने लगा,
एक लम्हे में दिल से भूलना चाहा
की जफ़ाओ से वफ़ा हो गयी
उस फूल से हुई भूल यू की काँटों में फस गया
एक भूल से ही फरियाद हो गयी
कैद दिल के सपने आज आजाद हो गयी”
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