औरत आखिर क्या है तेरी कहानी ???
तू खुद ही बता अपनी जुबानी …..
जनम लेते ही शुरू हो जाती है तेरे रिश्तों की जिम्मेदारियां……
बेटी बनकर माँ-बाप का घर करतीं हैं गुलजार …
तो अर्धांगिनी बनकर किसी अजनबी के जीवन में बरसातीं है प्यार …..
तो वही सास-सुसर के लिए बनती हैं एक नयी सेवादार ….
तो फिर माँ बनकर लाती हैं अपनी ज़िन्दगी में खुशियों की बहार …..
औरत आखिर क्या है तेरी कहानी ???
तू खुद ही बता अपनी जुबानी …..
अपनी इच्छाओं को रोटी में बेल सबको खिलाती हैं …
तो वही घर वालो की फरमाइशें चंद पलों में पूरा करती हैं…..
अपने सपनों के पंख को आँचल में बाँध अपने साथ रखतीं हैं ….
और वही परिवार के सपनों को एक नयी उड़ान देती हैं ……
औरत आखिर क्या है तेरी कहानी ???
तू खुद ही बता अपनी जुबानी …..
तो वही कभी दूसरी ओर….
हर घड़ी सघर्ष कर …..
किस्मत के आगे हार मानने को तैयार नहीं ….
और वो साथ ही प्रमाणित करती हैं ….
बुरे समय आने पर भी वो किसी के हाथ मजबूर नहीं ….
वो बताती हैं कि…
हर समय वो एक हारी हुई बाज़ी नहीं …….
तो कभी वो हर समय किसी कि रची हुयी साजिश नहीं …..
कभी वो एक सीधी सीता बनती हैं …
तो समय आने पे विकराल काली भी ….
कभी वो चाँद की शीतलता हैं
तो कभी सूरज की जलती धुप भी …..
औरत के रूप अनेक हैं …..
बस उन्हें समझना थोड़ा मुश्किल हैं …
भूलकर भी उन्हें अपने से तुक्ष्य न समझना …..
नहीं तो फिर उन्हें सम्भालना भी मुश्किल हैं ……
औरत आखिर क्या है तेरी कहानी ???
तू खुद ही बता अपनी जुबानी …….
सोमवार, 20 जुलाई 2015
औरत आखिर क्या है तेरी कहानी ???
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