तेरा शहर
बेबफाई का घर
भूले डगर
तेरी नज़र
हसीन है छलावा
आठो प्रहर
गलती मेरी
या दिल का तोडना
आदत तेरी
सबक मिला
नहीं भूलेंगे अब
नहीं है गिला
नयन बाण
करते थे पागल
अब आराम
हितेश कुमार शर्मा
Read Complete Poem/Kavya Here हाइकू II तेरा शहर II
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