वादे और सपने दिखा के
सत्ता में तुम आये थे ,
अच्छे दिन का झांसा देकर
सबको तुम फुसलाये थे ..
देस विदेश की नीति तुम
भली भांति हाँ जानते हो ,
पर खुद का ढांचा है कमजोर
ये क्यों न तुम मानते हो …
शिक्षा के गुणवत्ता पर
क्यों ध्यान न दिया है तुमने
बस गंगा ही साफ़ करने का
प्रण ठान लिया है तुमने …
आज इंजीनियरिंग के छात्र
क्लर्क की ट्रेनिंग पाते है ,
गर कुछ विरोध कर दिया तो
अंडरटेकिंग भरवाते है ..
बड़ी आशाएं थी तुमसे
तुम आओगे कुछ बदलोगे
इस घिसी-पिटी राजनीती से
तुम तो बहार निकलोगे ….
पर सायद तुमने भी
वही राह अपनाया है ,
तभी तो आज दिल्ली में
ये परिणाम आया है …
देस के खातिर अब तो सोच लो
थोडा अपना कर्तव्य देख लो ,
एक सौ बीस करोंड़ जन-मानस को
अब तो अपने दिल से जोड़ लो ……
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